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अभिभावकों के अभिप्राय

‘‘मैं उत्तमभाई (बापूजी) को शत-शत नमन इसलिए करता हूँ कि, भारत में इस तरह का गुरुकुल, जहाँ पुरुषों के लिए ७२ कलाएँ तथा स्त्रियों के लिए ६४ कलाओं पर आधारित श्रेष्ठ शिक्षा दिलवाने के क्षेत्र में विश्व में प्रथम अजूबा और सराहनीय गुरुकुल का निर्माण कर विश्व कल्याण के लिए कदम उठाया है । मुझे पूर्ण आशा एवं विश्वास है कि बापूजी का यह गुरुकुल सम्पूर्ण विश्व में अपनी अनोखी पहचान बनाएगा ।’’ 

- आदित्य प्रसादजी (झारखण्ड)


‘‘यहाँ दि जाती शिक्षा पश्चिमी शिक्षा की ओर एक सिधा खतरा है और भारत को पूरे विश्व का गुरु बनानेवाले गहरे विज्ञान को पुनर्जीवित करने का शंखनाद है । मैं पूरे विश्वास और ख़ुशी के साथ कह सकता हूँ की "साबरमती-गुरुकुलम्" एक ऐसे पथ का नेतृत्व कर रहा है जो भारत के संस्कृति और परम्परा को बचाएगा ।’’ 

- विशालजी शर्मा (सिंगापुर)