संगीत कला :
गायन : भरतमुनि रचित नाट्य शास्त्र आधारित जाती गायन और शास्त्रीय, सुगम एवं विभिन्न रागों का ज्ञान व तालीम ।
वादन : जलतरंग, सितार, ढोलक, तबला, हार्मोनियम, डफ, मंजीरा, पखवाज, संतूर, वायोलिन, सारंगी, बांसुरी, सरोद, मृदंग, नगाड़ा, शंख, तानपुरा, करताल इत्यादि प्राचीन वाद्यों की तालीम ।
नृत्य कला :
कथ्थक, भरतनाट्यम्, लोकनृत्य, रास, दीवा नृत्य, बाम्बू नृत्य, भांगड़ा नृत्य, चामर नृत्य, डांगी नृत्य, झांझ नृत्य इत्यादि की तालीम ।
चित्र कला :
रेखा चित्र, आकृतियाँ, वास्तविक चित्र, वार्ली पेन्टिंग, व्यंग चित्र, छाया चित्र, ग्लास पेन्टिंग, क्राफ्ट इत्यादि की तालीम ।
अभिनय / नाट्यकला :
नाटक, एकांकी नाटक, अभिनय, संवाद, मुखमुद्राएँ और शारीरिक चेष्टाएँ ।
परामेधा (मिड ब्रेन) :
आँखों पर पट्टी बांध कर रूबिक्स क्यूब को सुव्यवस्थित करना, स्पर्श मात्र से रंग परखना, सूंघकर करेंसी नोटों को परखना एवं नंबर बताना इत्यादि ।
संभाषण :
वक्तृत्व, भाषण, कहानी कथन इत्यादि की तालीम ।
जादू कला :
जादू के मूलभूत सिद्धांत व विभिन्न खेल ।
पाक कला :
स्वास्थ्य अनुकूल षड् रसयुक्त, स्वादिष्ट एवं ऋतु अनुरूप विभिन्न प्रकार के भोजन बनाना ।
सिलाई कला / गुंथन कला :
गुंथाई (भरतकाम), विविध टांकें का ज्ञान, कांतना, चरखा चलाना इत्यादि ।
शृंगार कला :
मंडप-शृंगार, गृह-शृंगार, मंच - शृंगार ।
लेखन कला :
हस्तलेखन, सुलेखन (कैलीग्राफी), कहानी लेखन, अहेवाल लेखन, योजना पत्र, भाषण, काव्य, नाटक , संवाद इत्यादि ।
अन्य कला :
लीपन कला, मिट्टी कला, मोतीकाम, एक्यूप्रेशर, नेतृत्व कला, गहूँली, रंगोली, कोठार व्यवस्था, अतिथि सत्कार इत्यादि ।